Rajani katare

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बंधन जन्मों का भाग -- 16




                 "बंधन जन्मों का" भाग- 16

पिछला भाग:--

अभी अभी तो नोकरी लगी है उसकी और दादी जोर दे रहीं हैं.... उनको लगी है पोते की शादी 
देख लूं.....
अब आगे:--
खैर मैं बात करुंगी आर्यन से... वैसे भी अभी इस
बार जल्दी ही आएगा.... दीपावली भी आने वाली
है... ईश्वर करे ये दीपावली अपने संग ओर भी
खुशियां लेकर आए......

विमला को लगा शायद उसका यहाँ मन न हो
पर संकोच वश बोल नहीं पा रहा हो....
उसकी माँ की सहेली जो हूँ....
रीता की पढ़ाई भी पूरी हो गयी... रीता बोली माँ
मैं ब्यूटीपार्लर का कोर्स कर लूं.....
ठीक है तेरी इच्छा है तो कर ले......
शीला ने बताया आर्यन को छुट्टी नहीं मिली....
सो वह आ नहीं पाया.....

अब महिना दो महिना निकल गये..... कोई जबाव
नहीं मिला..... हम सब ने बिल्कुल ही आशा
छोड़ दी.... बच्चू अब दूसरी जगह लड़का ढूंढों!!
मुझे ठंड लग गयी सो बुखार आ रहा था....
तीन दिन से स्कूल भी नहीं जा पाई....
रीता के साथ मिलकर जैसे तैसे खाना बना....
हिम्मत बिल्कुल नहीं पड़ रही.....
आज अचानक घर के सामने एक गाड़ी आकर 
रुकने की आवाज आई.....

बच्चू देख तो बाहर जाकर कौन है......?
बच्चू जाकर देखता है सो जल्दी अंदर आकर
रीता तू अंदर जा और थोड़ा ढंग से तैयार हो जा,
अरेऽऽ वो आपकी सहेली और उनका बेटा भी
है साथ में... गाड़ी भी एकदम चकाचक नयी दिख रही है.... लगता है अभी खरीदी है.....

जब तक शीला और उसका बेटा दोनों अंदर आ
जाते हैं.....
अरेऽऽ तुझे क्या हुआ...? स्कूल में कुछ खबर
भी नहीं भिजवाई.....
वैसे भी मैं आने वाली थी तू क्यों नहीं आ रही!!
फिर मैंने सोचा आर्यन आज आ ही रहा है तो
उसी के साथ आऊँ.....
तू बुखार में पड़ी है बताना तो चाहिए.....
नहीं नहीं अब ठीक हूँ मैं.....
चल फिर तो मिठाई खाना बनती है... मैं अपने साथ लेकर आई हूँ.....
रीता कहाँ है बच्चू बुलाओ तो जरा.....

रीता आजा बैठ यहाँ... गुड़िया भगवान के इधर से टीका रख कर ले आ तो.....
विमला उठकर जाती है गुड़िया को लेकर....
अच्छे से थाली सजाकर ले आती है....
शीला थाली में से लेकर रीता को कुंकुम लगा कर
उसके हाथ में साड़ी, मिठाई और कुछ नगदी
रख कर कहती है.... मिमला अब जल्दी से
शादी का मुहूर्त निकलवा लेना.....
अभी तो रोका कर दिया मैंने... बच्चू मिठाई खिलाओ दोनों को फिर सबको देओ.....
रीता और आर्यन एक दूसरे को मिठाई खिलाते
हैं.... आज हम लोग कुछ प्रोग्राम बना कर आए
हैं.... विमला तुम लोग तैयार हो जाओ फिर अपना प्रोग्राम बताऊंगी......

सब तैयार हो जाते हैं... शीला पहेलियां मत बुझा अब तो बता अपना प्रोग्राम!! 
कहाँ जाना है....?
अरे बढ़िया पिक्चर लगी है "परिचय" जया भादुड़ी
की है!! बस वही देखने चल रहे हैं.....
लोटते में बढ़िया चाट फुल्की खाते हुए आयेंगे....

विमला की तो खुशी का ठिकाना ही न था....
अचानक से इतनी बड़ी खुशी जो मिल गयी....
जिसकी बिल्कुल उम्मीद छोड़ चुकी थी.....
बुखार भी न जाने कहाँ गायब हो गया....
ऐसा लग ही नहीं रहा कि मैं बीमार थी.....
चलो कोई बात नहीं उसने मन में सोचा.....
"देर आए दुरुस्त आए"

बच्चू बस अब एक चिंता है... कैसे क्या होगा!!
अपने पास इतना पैसा तो है नहीं... अपन तो 
सीधी सादी शादी कर सकते हैं....
ये लोग हैं तो अच्छे... सम्पन्न मध्यम श्रेणी परिवार
फिर भी... अब देखते हैं क्या होता है!!
कल बाकी बातें होंगी... बोल तो गयी है शीला...
कुछ मांग वांग न रख दें....देखते हैं कल क्या बात
होती है..... 
क्रमशः--

कहानीकार-रजनी कटारे
    जबलपुर ( म.प्र.)





   

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1 Comments

Sandhya Prakash

22-Mar-2022 02:33 PM

Nice

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